गर्लफ्रेंड के साथ किया सेक्स: वो भी बहन के घर पर

यह मेरी गर्लफ्रेंड जया और मेरी कहानी है, जो हमारे बीच एक गहरे और जटिल रिश्ते की कहानी है। जब मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष में था, तब जया अपनी बारहवीं की परीक्षा देने वाली थी। हमारी कहानी का शुरुआत तो बचपन से ही हुई थी, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, हमारे रिश्ते में भी कई मोड़ आते गए।

जया मेरी मौसी की ननद की बेटी है, और उसका परिवार कल्याण में रहता है। हमारी फैमिली के बीच काफी नजदीकी रही है, जिसकी वजह से हम दोनों की दोस्ती भी बहुत गहरी हो गई। बचपन में हम साथ-साथ खेलते थे, स्कूल जाते थे, और एक-दूसरे के साथ बहुत सारी यादें बनाईं।

लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, हमारी बातचीत कम होती गई। जया अपने गांव में पढ़ाई करने चली गई, और लगभग दो साल तक हमारी मुलाकात नहीं हुई। इस दौरान, मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त रहा, और जया भी अपनी पढ़ाई में लगी रही।

एक दिन, मेरे घर में एक पूजा होनी थी, और जया भी आई हुई थी। जब मैंने इतने दिनों बाद जया को देखा, तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं। वह एक अलग ही शख्सियत में बदल गई थी – लगभग साढ़े पांच फीट की लंबाई, चमकदार आँखें, और एक आकर्षक व्यक्तित्व। मैं तो देखकर ही पागल हो गया और मन ही मन सोच लिया कि इसकी तो लेकर रहूँगा।

घर में भीड़ होने की वजह से हमारे बीच ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई, लेकिन मैंने मौका देखकर उसका मोबाइल नंबर ले लिया। पूजा खत्म हो गई, और जया को उसी दिन वापस लौटना था। मेरी उससे ज्यादा कुछ बात नहीं हो पाई, लेकिन मैं उसके बारे में सोचता रहा।

जब से उसको देखा था, मैं तो उसका दीवाना हो गया था। कहां वो स्कूल की जया और कहां ये उभरती जवानी। लग रहा था जैसे उसके अंग-अंग में कुदरत ने प्रीत का रस भर दिया था। मैं उसके बदन को अपने बदन के साथ एक करना चाह रहा था, मुझसे रुका नहीं जा रहा था।

एक दिन कॉलेज से आने के बाद मैंने उसको कॉल कर दी फोन पर, और हमारी बातें होने लगीं। एक-दो दिन तक मैंने उससे नॉर्मल बातें कीं, कभी बचपन की यादों में निकल जाते थे, तो कभी स्कूल की शरारतों के दिनों में। दो दिन के अंदर ही दोनों जैसे फिर से वही पुराने जया और रोहन बन गए थे।

फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसको अपने प्यार का इज़हार कर दिया। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उसने मेरे प्यार को स्वीकार कर लिया और उसने एक बार भी मना नहीं किया। अब हमारी रोज कॉल पर बातें होने लगीं।

बारहवीं के एग्जाम के बाद जया कल्याण आ गई थी और यहीं पर बिरला कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। अब तो हम दोनों रोज मिलने लगे थे। मैं बहाने से उसकी चूचियों को टच कर लेता था, जब भी वो गले मिलती थी, मैं उसको कस कर अपने सीने से लगा लेता था। अब मेरा मन उसकी चूत में लंड देने का बहुत ज्यादा करने लगा था।

फिर धीरे-धीरे मैं उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके चूचे भी दबाने लगा। वो भी मेरा साथ देने की कोशिश करती थी, लेकिन ज्यादा आगे नहीं बढ़ने देती थी। मगर उसकी चूचियां दबाते ही मेरा लंड फटने को हो जाता था।

अब मैं चुदाई की आग में जल रहा था, मैं किसी भी तरह जया के साथ सेक्स करना चाहता था। आखिरकार एक दिन मुझे वो मौका मिल ही गया। मेरी मौसी की लड़की कोमल हमारे घर से थोड़ी ही दूर रहती थी, और हमारा वहां आना-जाना लगा रहता था। उसकी पूरी फैमिली कुछ दिनों के लिए गांव गई थी, और उसके घर की चाबी हमारे पास थी। मैंने चुपके से चाबी निकालकर मेरे पास रख ली थी।

दूसरे दिन कॉलेज के बहाने मैं घर से निकल गया। मगर उस दिन मुझे कॉलेज नहीं जाना था। पहले दिन ही मैंने जया को बोल दिया था कि कल हम थोड़ा टाइम साथ में बिताएंगे। जया पहले से तैयार थी। मैं घर से कॉलेज का कहकर निकला और जया को उसके घर से मैंने पिक कर लिया। फिर मैं कोमल के घर जया को ले गया।

थोड़ा डर तो लग रहा था क्योंकि बात लड़की लाने की थी। पड़ोसियों ने अगर कहीं देख लिया तो हो सकता था कि वे मेरी मौसी की लड़की को बता दें और बात मेरे घर तक पहुंच जाये। इसलिए मैंने जया का चेहरा ढकवा दिया था। मैंने भी हेलमेट पहना हुआ था ताकि अगर किसी को लड़की घर में आती दिख भी जाये तो हम दोनों के चेहरे न दिख पायें।

हम दोनों जल्दी से घर के अंदर घुस गए। अंदर जाकर हमने गेट को भीतर से बंद कर लिया। मुझे तो बहुत जल्दी मची थी जया को नंगी करने की। हम अंदर रूम में गए और जाते ही मैंने जया को अपनी बाहों में कस लिया। मैं उसके जिस्म को सूंघने लगा, उसकी गर्दन पर किस करने लगा। वो थोड़ा असहज महसूस कर रही थी लेकिन फिर उसके हाथ भी मेरी पीठ पर फिरने लगे।

अब हम दोनों ही एक दूसरे को किस कर रहे थे। वो अब मेरा पूरा साथ देने लगी थी। लगभग 20 मिनट तक तो हम होंठों में होंठों को चिपकाए हुए ही खड़े रहे और चूसते रहे। फिर मैं जया को गोद में उठाकर बेड पर ले गया। मैंने उसे बेड पर आराम से लिटा दिया और उसकी तरफ आंख मार दी। वो शर्माने लगी। फिर मैं अपनी टीशर्ट उतारने लगा।

टीशर्ट उतारकर मैंने बगल में रख दी। फिर मैं जया के ऊपर आ चढ़ा। उसको फिर से होंठों पर किस करने लगा। मगर अबकी बार मैं ज्यादा देर तक होंठों पर नहीं रुका और उसके बदन को जहां-तहां से चूमने लगा। एक हाथ से मैं उसकी चूचियों को भी मसल रहा था। उसने मुझे रोका और बोली, “यार, मेरी ड्रेस खराब हो जायेगी। सिलवटों वाली ड्रेस के साथ घर जाऊंगी तो किसी को शक भी हो सकता है।”

मैं बोला, “तो फिर ऐसे कैसे चलेगा यार, मैं तो मरा जा रहा हूं तेरे लिए! जल्दी से ऊपर की ड्रेस निकाल ले।” उसने मेरी बात को समझा और वो निकालने के लिए राजी हो गई। फिर मैंने उसकी ऊपर वाली ड्रेस की चेन खोल दी और उसको निकालवा दिया। नीचे से उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैंने पीछे से उसकी ब्रा के हुक भी खोल डाले।

उसकी पीठ नंगी हो गई। एकदम से मलाई थी उसकी त्वचा। उसकी नंगी पीठ को देखकर ही मेरे मुंह में पानी आने लगा। मैंने अपने गर्म होंठों से उसकी नर्म नर्म त्वचा को पीठ पर से चूम लिया। मेरे चुम्बन से वो थोड़ी सिकुड़ गई। फिर मैंने उसको लिटाया और उसकी ब्रा को हटा दिया। उसकी चूचियां मेरे सामने नंगी थीं।

आह्ह, क्या मस्त सेब थे उसके! एकदम गोरे गोरे चूचे और उन पर मटर के दाने के जैसे भूरे निप्पल! मैं तो उन पर टूट पड़ा। मेरा मुंह और जीभ लगने से वो भी उत्तेजित होने लगी। कुछ ही देर में उसके चूचों के निप्पल एकदम से कड़क हो गए। मैं समझ गया कि इसको भी गर्मी चढ़ने लगी है।

काफी देर तक मैंने उसकी चूची पी और उनको चूस चूस कर लाल कर दिया। इस बीच वो सिसकारने लगी थी। हम दोनों ऊपर से तो पूरे नंगे थे लेकिन नीचे से मैंने पैंट पहनी हुई थी। जया ने भी जीन्स पहनी थी। मेरी पैंट में मेरा लंड फटने को हो रहा था।

बूब्स चूसते चूसते मैं अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंट के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। अब मैं चूत को छूने के लिए मरा जा रहा था। मैंने उसकी पैंट खोलनी शुरू की तो उसने हाथ पकड़ा लेकिन मैं झटक दिया। फिर मैंने उसकी पैंट को खोल दिया और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।

उसकी चूत काफी गर्म हो गई थी और चूत की फांकें मैं अपनी उंगलियों पर महसूस कर सकता था। जया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और उसका गीलापन भी मैं अपनी उंगलियों पर महसूस कर सकता था। मैं बोला, “यार, पैंट खराब जायेगी तेरी। निकाल ले इसे भी।” उसने अपनी पैंट भी उतार दी। अब वो नीचे से केवल पैंटी में थी।

फिर मैंने उसकी पैंटी भी खींच डाली। मैंने उसको पूरी नंगी कर दिया और वो शर्माने लगी। मगर मैं देखकर हैरान था कि उसकी चूत के बाल कटे हुए थे। इसका मतलब साफ था कि जया भी चुदने के इरादे से ही आई होगी। वर्ना उसी दिन बाल काटने की क्या जरूरत थी।

मैंने उसकी चिकनी चूत पर उंगली घुमाई तो उसी आह्ह निकल गई। कुछ पल मैंने उसकी चूत को उंगली से रगड़ा और फिर उसने खुद ही टांगें हल्की सी फैला दीं। अब मेरे मुंह में बहुत पानी इकट्ठा हो गया था। मैं उसकी चूत चाटना चाह रहा था।

मैंने अपना मुंह उसकी जांघों के बीच में उसकी चूत पर रख दिया और वो एकदम से सिहर गई। उसने मेरे बालों में हाथ डाल लिये और मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी। कुछ देर में वो भी कमर उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी। उसकी चूत से लगातार रस बह रहा था।

फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के नीचे डालकर उसकी कमर को उठा लिया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा। चूत में जीभ डालने से जया पागल हुई जा रही थी। वो अब मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत चटवा रही थी।

कुछ देर तक चूत चाटने के बाद मैं उसके बदन पर सब जगह किस करने लगा। मैं उसके होंठों तक पहुंच गया। मैंने किस करते करते ही अपनी पैंट और अंडरवियर को निकाल कर साइड में डाल दिया। उसका एक हाथ पकड़ कर मैंने अपने लंड पर रखवा लिया। पहले तो उसने हाथ हटाया लेकिन फिर मैंने रिक्वेस्ट की। मेरे कहने के बाद उसने मेरा लंड पकड़ लिया।

फिर मैंने हाथ से उसका हाथ दबाया और लंड को सहलाने का इशारा किया। वो मेरे लंड को खुद ही अपने हाथ से सहलाने भी लगी। अब मुझसे और कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने अपनी पॉकेट से कंडोम निकाल कर अपने लंड पर चढ़ा लिया। मैंने उसके दोनों पैर साइड में करके उसकी चूत को ध्यान से देखा और अपना लंड उसकी चूत पर सेट कर दिया।

अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर मैं उसे किस करने लगा। धीरे धीरे अब मैंने लंड घुसाने की तैयारी शुरू कर दी और हल्के धक्के देने लगा। उसको दर्द हो रहा था लेकिन मैं किसी तरह खुद को कंट्रोल करता रहा। धीरे धीरे मैं अब अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसके चेहरे पर दर्द दिख रहा था लेकिन वो बर्दाश्त कर रही थी।

मैं उसको किस करने लगा और अब चुदाई का मजा आने लगा। धीरे धीरे करके मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। अब उसकी चूत में लंड पूरा जा चुका था। मैं उसको आहिस्ता से चोदने लगा।

थोड़ी देर में उसकी चूत का दर्द जब कम हुआ तो वो भी थोड़ी कामुकता दिखाने लगी और अपनी चूत को मेरे लंड की ओर हल्के धक्के से धकेलने लगी। मैं समझ गया कि उसको अब चुदने का मजा आ रहा है।

चूत चुदाई करते हुए जब 5-7 मिनट बीत गए तो तब तक हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों में खो चुके थे। उसकी चूत बार बार मेरे लंड को चोद रही थी और इधर से मेरे लंड के धक्के उसकी चूत में लग रहे थे। अब दोनों को चुदाई का पूरा आनंद मिल रहा था।

उसने मुझे कसकर बांहों में भर लिया और फिर उसकी पकड़ ढीली होती चली गई। उसकी चूत का रस निकल गया था शायद। उसके चेहरे पर एक संतुष्टि सी झलकने लगी थी। उसका पानी तो निकल गया था। मगर मेरा अभी होना बाकी था। मैं उसको चोदता रहा और वो दर्द को सहती रही। मैंने उसकी जमकर चुदाई की।

फिर मेरा माल उसकी चूत में कंडोम में निकल गया। मैं कुछ देर उसके ऊपर लेटा रहा और फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। मेरा माल कॉन्डम में इकट्ठा हो गया था और जया उसको ध्यान से देख रही थी। मैंने कॉन्डम उतारा और साइड में फेंक दिया। फिर हम कुछ देर एक दूसरे के साथ नंगे ही चिपके रहे।

मैं उसको किस करता रहा और उसके बूब्स दबाता रहा। वो भी मुझे चूमती रही और मेरे बदन को सहलाती रही। उस दिन मैंने फिर तीन बार उसकी चुदाई की। अगले सात दिन तक मौसी की बेटी के मकान की चाबी मेरे पास ही थी। रोज मैं कॉलेज के बहाने से निकल जाता और जया को लेकर वहां पहुंच जाता। सात दिन तक मैंने उसको लगातार चोदा। अब वो खुद ही चुदने के लिए कह देती थी।

उसके बाद मौसी की लड़की कोमल लौट आई और फिर चुदाई का मौका मिलना कम हो गया। मगर फिर भी हम किसी न किसी तरह से चुदाई की जगह और समय निकाल ही लेते थे।

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