एक दिन की बात है कि एक विधवा महिला मेरी दुकान पर आई।
लेकिन उसका रंग ऐसा गोरा था कि कोई यकीन ही न कर पाए कि वो 45 साल की है।
उसकी चिकनी कमर के कर्व्ज़, उसके बदन की खुशबू, चिपकी टाईट साड़ी में उभरी हुई उसकी गोल-मटोल गांड, उसकी कोयल जैसी आवाज मुझे पागल बना रही थी।
सोच रहा था कि इसका पति कितना किस्मत वाला रहा होगा।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था।
फिर वो एकदम से बोली- इसमें 10 किलो गेहूं है, पीस देना!
मैने ठीक है कहकर उसके हातो से डिब्बा ले लिया
डिब्बा लेते हुए हमारे हाथ एक दूसरे को छू गए।
वो वहीं इंतजार करने लगी।
मैं गेहूं पीसने के काम में लग गया।
मैंने कहां- आपको पहले कभी नहीं देखा यहां?
वो बोली- हां, पहले मैं दूसरी दुकान से करवाती थी लेकिन वो अच्छा काम नहीं कर के देता है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप चिंता मत कीजिए। मेरी आटा चक्की यहां सबसे अच्छी है और मैंने आज तक किसी को भी काम के मामले में निराश नहीं किया है। वैसे आपका नाम क्या है?
वो बोली- रेखा!
मैंने कहा- बहुत ही अच्छा नाम है आपका तो, आप बिल्कुल फूल के जैसी कोमल हैं।
मेरे मुंह से इस अंदाज में तारीफ सुनकर वो एकदम से पहले तो चौंकी, लेकिन फिर मुस्कराई और शर्माकर चली गई।
उसके चलने की अदा का मैं तो दीवाना हो गया।
सच कहूं दोस्तो, रेखा तो फायर है फायर, गजब का माल है, दिल को बर्फ बना दे … ऐसी उसकी मनमोहक स्माइल है।
दोस्तो, इस घटना के एक हफ्ते के बाद वो फिर मेरी दुकान पर आई।
उस दिन भी उससे दो-चार बातें हुईं।
इस तरह से करते-करते वो मेरी पक्की ग्राहक बन गई।
अब कई बार ऐसा ही होने लगा।
वो आती, और बैठी-बैठी मुस्कराती रहती, फिर काम होने के बाद पैसा देकर चली जाती थी।
अब मेरे मन में उसे पटाने का पूरा ख्याल आ चुका था लेकिन मुझे टाइम नहीं मिल रहा था।
मुझे पता था कि जिस तरह की नजरों से वो मुझे देखती है, खुजली तो उसे भी थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी।
फिर आखिरकार वो दिन आ ही गया।
एक दिन उसने मेरे हाथ में कागज की एक छोटी सी पर्ची थमा दी।
उस पर एक मोबाइल नम्बर लिखा हुआ था।
मैंने उसी रात को उसे मैसेज किया।
धीरे-धीरे चैट से बढ़ते हुए हमारी फोन पर भी बातें होने लगीं।
वो अब मुझे अपनी सेल्फी भी भेजने लगी।
वो सेक्सी पोज बना बनाकर अपनी सेल्फी फोटो मुझे देती थी जिसमें उसकी चूचियों के कर्व साफ नजर आते थे।
मेरा लंड उसके ये फोटो देखते ही खड़ा हो जाता था।
मैं उसके मोटे चूचों के उभार देखकर रोज लंड हिलाता था।
एक रात की बात है कि उसने अपने नंगे फोटो भी भेज दिए।
बोली- कैसी लग रही हूं?
मैंने कहा- रेखा … तुम तो फायर हो!
फिर वो हंसने लगी।
दरअसल उसका घर हमारे घर से बहुत दूर नहीं था।
वो बोली- आ जाओ।
मैंने कहा- नहीं, किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे कुछ नहीं होगा, यहां कोई नहीं रहता है, किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। वैसे भी हम इतने अच्छे दोस्त बन चुके हैं, तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते हो?
आंटी की चुदाई का मन तो मेरा भी बहुत था लेकिन डर भी था कि कहीं किसी ने देख लिया तो सौ तरह की बातें बनेंगी।
लेकिन मैं फिर आखिरकार उसके घर की तरफ चल पड़ा।
रात के समय मैं उसके घर पहुंच गया।
अंदर जाते ही वो मुझसे जोर से लिपट गई।
वो मुझसे लिपटकर थोड़ी भावनाओं में बह गई; मुझे कस कर गले लगाने लगी।
मैंने भी उसको चूमा और जोर से बांहों में कस लिया।
फिर वो मुझे दूसरे रूम में ले गई।
वो बोली- आजा मेरे राजा … मैं इतने सालों से अकेली हूं। आज तक पति के अलावा किसी को अपना बदन नहीं छूने दिया। लेकिन तुम मुझे भा गए हो, तुम्हारी बॉडी बहुत मस्त है। आज मुझे जी भरकर प्यार करना।
फिर वो रूम में ले जाकर वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगी।
इतने सालों की हवस साफ पता चल रही थी जो वो मुझ पर निकाल रही थी।
वो इतनी जोर-जोर से मुझे किस कर रही थी कि उसकी लार से हम दोनों का चेहरा भीगता जा रहा था।
मेरे होंठों को खाकर बोली- चल … तू तो पूरा जवान है … आज कुचल कर रख दे मुझे!
उसकी ऐसी बातों से मेरा लंड अकड़ कर पत्थर हो चुका था।
फिर मैंने उसको नंगी करके झुका लिया।
मैं पीछे से उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगा।
कुछ ही पलों में उसकी चूत से सफेद रसीला पानी निकलने लगा।
मैं उसकी चूत की सारी क्रीम को जीभ से चाट-चाटकर निकालने लगा।
वो नॉन-वेज बहुत खाती थी तो उसका बदन एकदम से 25-26 साल की लड़की तरह गदराया हुआ था।
मैं उसे दबोचने लगा, उसके बदन को मैं यहां-वहां से भींचने लगा, कभी चूचियों को निचोड़ने लगा।
वो भी पूरी चुदासी होती जा रही थी।
फिर एकदम से वो पलटी और मेरे सारे कपड़े 1 मिनट में ही मेरे बदन से उतार फेंके।
अब मैं पूरी तरह से नंगा था।
वो घुटनों पर आ गई और मेरे फनफनाते लंड को मुंह में भर लिया।
वो मेरे लंड को जोर-जोर से चूसने लगी।
मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था।
मेरे लंड पर सब जगह उसके मुंह की लार लग गई थी।
मैंने भी देर न की और उसे बेड पर घोड़ी बना लिया।
मैंने पीछे से उसकी फूली हुई चूत पर लंड लगाया और धक्का मार दिया।
पहले ही धक्के में लंड का टोपा अंदर जा घुसा जिससे उसकी आह्ह … निकल गई।
मैंने एक और धक्का मारा तो वो उचक गई और ऊईईई … करके आगे खिसक गई।
मैंने पकड़ कर वापस उसे अपनी तरफ खींचा।
मैंने उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से थाम लिया और लंड को उसकी चूत में धकेलता चला गया।
आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
अब मैंने धक्के लगाने शुरू किए।
धीरे-धीरे धक्के लगाते हुए लंड उसकी चूत की गहराई में जाने लगा।
दो मिनट बाद पूरा लंड चूत में रास्ता बना चुका था।
मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसकी आहें दर्द भर सिसकारियों में बदलने लगीं- आह्ह … आह्ह … आईईई … ऊहह्ह।
मैं पूरी स्पीड से उसकी चूत में लंड को पेलने लगा।
फिर चोदते हुए मैं झड़ गया।
मैं बुरी तरह से हांफ रहा था।
रेखा की हालत भी खराब हो गई थी।
फिर हम ऐसे ही एक-दूसरे की बांहों में सो गए।
फिर सुबह उठा तो वो भी उठ गई थी।
वो चाय लेकर आई।
चाय पीकर मैं चुपचाप उसके घर से निकल आया।
उस रात की चुदाई के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया।
अब जब भी उसका चुदने का मन करता था वो मुझे बुला लेती थी।